कच्चे खिलौने
तू अपने आंसू
अब पोंछ ले बच्चे
वे जो टूट गए,
खिलौने थे कच्चे…
बाज़ी दिल की
तो वह बाज़ी है
जहां हार गए
लोग अच्छे-अच्छे…
तेरे जज़्बात
वे क्या समझेंगे
सोच से अपनी
जो बिल्कुल टुच्चे…
मीठी बातों के
जाल में फंसकर
यहां खा गए
कितने शख़्स गच्चे…
हर मासूम को
प्यार में अक़्सर
मिलते ऐसे ही
जानलेवा धक्के…
उतने ही कड़े
इम्तिहान होते उनके
जो लोग होते हैं
जितने ही सच्चे…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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