कच्ची डोर
कच्ची डोर से बना है ये बंधन,
कंही इसे तोड़ न देना।
एक किसी को बहन कहकर जो लगाओ गले,
फिर उसे छोड़ न देना।
इतिहास पढ़ो मोल जाने शब्दों का तुम,
इसको कंही टोल न देना।
राजा बली से उपहार मांग छुड़ाया विष्णु को,
ऐसा उपहार बोल में देना।
आज़ाद जब छुपे बनाई बहन को दी सौगात,
ऐसा देशप्रेम छोड़ न देना।
द्रोपदी को कृष्ण से मिला जीवनभर सम्मान,
ये कहानी कंही तोड़ मरोड़ न देना।
तनहा शायर हूँ