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25 Dec 2019 · 1 min read

कंचनकलश है जिंदगी

हेवानित हालत हर हसरत भरी है जिंदगी
इंसान की इंसानियत से लड़ रही है जिंदगी
पर प्रेम से प्रकाश पाले प्यार करती जिंदगी
कर कर्म से कर्त्तव्य अपने कर रही है जिंदगी
मन मीत मानवता मनाती मर्म ढाती जिंदगी
सद् चार सद सम्मान सबमें भर रही है जिंदगी
अरसे भरे अरमान से यूं आह भरती जिंदगी
तनतन तनक में तूल भरकर चल रही है जिंदगी
“कृष्णा”कनक के थाल सी कंचनकलश है जिंदगी
मन मर्म जानो मान्यवर ममता भरी है जिंदगी
✍️कृष्णकांत गुर्जर धनौरा (गाडरवारा)

Language: Hindi
6 Likes · 228 Views
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