कंचनकलश है जिंदगी
हेवानित हालत हर हसरत भरी है जिंदगी
इंसान की इंसानियत से लड़ रही है जिंदगी
पर प्रेम से प्रकाश पाले प्यार करती जिंदगी
कर कर्म से कर्त्तव्य अपने कर रही है जिंदगी
मन मीत मानवता मनाती मर्म ढाती जिंदगी
सद् चार सद सम्मान सबमें भर रही है जिंदगी
अरसे भरे अरमान से यूं आह भरती जिंदगी
तनतन तनक में तूल भरकर चल रही है जिंदगी
“कृष्णा”कनक के थाल सी कंचनकलश है जिंदगी
मन मर्म जानो मान्यवर ममता भरी है जिंदगी
✍️कृष्णकांत गुर्जर धनौरा (गाडरवारा)