* कंगूरे पे बैठे हैं*
कंगूरे पे बैठे हैं यह देखिए करिश्मा
हम रास्ते के फलक में खड़े,यह है नसीव अपना।।
हमें डर है कि रुखसत ही सलामत रहे
तुम समेंट लो मुल्क सारा , यह है नसीव अपना ।।
क्या ख़ास है गुलाबे जामुन का तज़ुर्बा
हमें सुखी रोटियां ही तरोताजा, यह है नसीव अपना।।
हमारी जवानी गयी मजदूरे हाशिल ये
अब् जिश्म भी दगा दे रहा है , यह है नसीव अपना ।।
फितरतों नै तामील किया है अमनो चमन
वे कदर बयाँ हुई है फजीहत मेरी, यह है नसीव अपना।
हल्क से थूके जाते हैं वे उसूली हरिफ
समेंट लेते हैं हम उन्है चुपचाप , यह है नसीव अपना।।
मियाँ मुस्ताक से पूंछो कल का जिकर
फ़ौज घर में रात भर चहकती रही यह है नसीव अपना।
कभी कहकहे कलाम था यह दरख़्त
अब् निशाँ भी नजर नहीं हैं’साहब’ ये है नसीव अपना।।