…और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
…और फिर कदम दर कदम आगे बढ जाना है
पिछे क्या कुछ छूट गया बाकि..क्या सोचना है?
ये तारीखे है ये रोज बदलकर हर माह फिर आती है
पर साल आगे बढ़ जाते है और हम पिछे छूट जाते है
बड़ा ही अज़ीब है एक पल में जैसे आँख मूंद लेते है
और अगले पल आँख खुलते ही साल बदल जाते है
ये समय का पहियाँ है पल पल चलते ही रहता है
ये इँसा को बतलाता है आगे बढ़ते रहना ही जीवन है
‘अशांत’ शेखर
31/12/2023