और पंछी उड़ चला
वह तंग आ चुकी थी इंसानी दुनिया से
वह तंग आ चुकी थी इंसानों की बुरी नीयत से
वह तंग आ चुकी थीअपनी दुनिया के
बनावटी उसूलों से और खोखले विचारों से
वह ऐसी दुनिया में रहती थी
जहां भेड़िए उसके पंख उतरने को हर पल बेताब थे
जहां उसकी हर आहट पर साजिशों का पहरा था
तंग आ चुकी थी वह इस शिल्पनिर्मित जहां से
वह अब अपने स्वतंत्र विचारों की दुनिया में
ऊंची उड़ान भरना चाहती थी
नीले आसमान के आंगन में
अपना नया आशियाना बनाना चाहती थी
जहां कोई सीमा उसे बंधक न बना सके
जहां वह स्वतंत्र, उग्र और दुर्जय रह सके
जहां वह एक नासमझ लड़की नहीं
बल्कि एक अधिकार वादी लड़की बन कर रह सकें
एक ऐसी दुनिया जहां वह सुरक्षित रहे
और पल पल अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष न करना पड़े
एक ऐसी दुनिया जो कल्पनाओं से परे हो
और हर तरफ सिर्फ और सिर्फ
उमंग से भरे आशाओं के पुष्प खिलखिलाते हों
और फिर एक दिन वह लड़की
अपनी अनंत आकांक्षाओं को समेट कर
फुर्र होकर उड़ चली नील गगन की ओर
अपनी नई दुनिया मे अपने अस्तित्व को तराशने