और चौथा ???
एक पुत्र पिता पन हेतु अवध तजि चौदह बरस अरण्य रह्यो ।
दूजे ने धर्म स्थापना कर सिंहासन तजि पादुका धरयो ।
तीजे ने त्यागमूर्ति बन माँ की सीख मानी अनुसरण करयो ।
और चौथा ???
चौथा चुपचाप नयन जल भर कर्तव्य पथ पे चलता ही रह्यो ।।१।।
एक सहित नार नदी व पहाड़ लाँघि आगे बन गहन गया ।
दूजा महि खनि मुनिवेश धरी कुटिया में नन्दीग्राम रहा ।
तीजा बासर नित सेवा कर राति जग जग बन दास रहा ।
और चौथा ???
चौथा भाई बिनु कपट छिद्र एक शिला नगर के द्वार पड़ा ।।२।।
वो राम कहाया जिसने अति बलभट सठ हठकरी समर हने ।
वो भरत जो मातु तजि भ्राता पूजी सर जटा बना नित मुनि बने ।
वो लछमन जो नित रह विरक्त नासक्त रामपद अनुगामी ।
और चौथा ???
रिपुहन जिसके सन्मुख था सदा सिंहासन पर ना कभी की मनमानी ।।३।।