औरत
औरत कि जुबानी सुनो उसकि कहानी
सब के घर मे रौनक लाई
यह सब दिलों कि रानी
बेटी बन आई लक्ष्मी पिता के घर को,
माँ कि सहेलि देखो पापा कि दुलारी,
भाई कि सुनीं कलाई को,
क्या खुबसूरती से सजाईं,
दिन ढ़ले हुई सयानी,
कन्यादान कर,कर दिया विदाई
ममता कि मुरत को देखो,
कहीं शिकवा नहीं सुहाईं,
कन्या का खत्म हुआ किस्सा ,
वह तो युवानी मे आई,
पति के घर बजी सहनाई,
एक नई रौनक लाई,
अगर फूटी किस्मत, भरे राक्षस टोली
फिर भी ऊह ना बोली,
देखो इतनी शक्ति कहाँ से आई?
बुढापे मे बच्चे सहारे,
क्या क्या नए रंग खिलाएँ,
तरसे कर्ण सुनने को माँ,
फिर भी दरियादिली दिखाई,
अब क्या सुने, वह तो अपने रब को पाईं