“औरत”
“औरत”
पुरुष जीता फकत वहम से है,
सारी रौनकें तो औरत के दम से है।
बच्चे जनती हर तहजीब सिखाती,
फिर भी आँखें उनकी नम से है।
“औरत”
पुरुष जीता फकत वहम से है,
सारी रौनकें तो औरत के दम से है।
बच्चे जनती हर तहजीब सिखाती,
फिर भी आँखें उनकी नम से है।