औरत की अभिलाषा
नहीं चाहिए मुझे
अपने सपनों के मरने की उदासी छिपाने के लिए पोते जाने वाला पाउडर
मुझे चाहिए
वो हिम्मत जो अश्रु का कारण ही मिटा दे
नहीं चाहिए मुझे
देवी की पदवी
मुझे चाहिए
अपने बोलने, कहने, सुनने, पढने, बढने का अधिकार
नहीं चाहिए मुझे देवता
मुझे पशुवत टोरने और चाकरी के लिए
मुझे चाहिए
एक जीवनसाथी जो हर कदम पर साथ चल सके
नहीं चाहिए मुझे
बीवी का गुलाम
मुझे चाहिए वो
जो पैसे से न सही पर मन से सहयोग करे और मेरे आगे बढने पर हर्षित हो
नहीं चाहिए मुझे
लड़कियों के चरित्र को मापने वाली दुनिया
मुझे चाहिए कि
मैं खुद अपने लिए न्याय और स्वतंत्रता की परिभाषा घड़ूं।।
©️ रचना ‘मोहिनी’