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15 May 2023 · 1 min read

औरत का कमरा

औरत का कमरा

जरूरत नहीं मुझे महलों की
चाहिए बस एक कोना।
जहाँ हो सके आराम से
मेरा *अपना हंसना रोना।
जहाँ खुद से कुछ बातें
मै हौले से कर पाऊं।
बैठ एक कुर्सी टेबल पर
खुद को समझना चाहूँ।
पति के साथ शेयर करू
क्यों मेरा कमरा कोई नही।
डायरी पकडते ही बोले
क्यूं अभी तक सोई नहीं।
बच्चों के कमरे में अब
नये वहाँ झमेले है।
क्या लिखती हो माँ अब
सवालों के बस रेलें है।
हाल में बैठूं तो सास बोले
क्यूं मोबाइल में लगी रे तू।
ऐ बेचारी नारी, जाने
किस किस ने ठगी है तू।
कमरा एक औरत का
क्यूं नही बनाय जाता।
सारा घर तेरा ही है
ऐसे है बहलाया जाता।
दो घरों की मालिक वैसे
मुझ को कहा जाता है।
अपने लिए कुछ पल जीऊँ
तो दंगा क्यूं हो जाता है।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
219 Views
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