औरतों को खूब सम्मान दें !
औरतों को खूब सम्मान दें !
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औरतों को खूब सम्मान दें !
ना कभी उनका अपमान करें !
कुछ छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं !
आए दिन सुनने को जो मिलती हैं !
इन घटनाओं को जल्द ही लगाम दें !
इजूल – फिजूल बातों को विराम दें !!
औरतों को खूब सम्मान दें……
घर में ही मर्दानगी ना कभी दिखाएं !
ताकत अपनी सदा बाहर ही दिखाएं !
भोली-भाली औरतों पे रौब ना जमाएं !
सारी जरूरतें उनकी पूरी करते जाएं !
उनकी बेहतरी हेतु भी कोई कदम उठाएं !
औरतों को सदैव पर्याप्त सम्मान दिलाएं !!
औरतें,जो घर के सारे काम में हाथ बंटाती !
एक पैर पर घर में दिन-रात खड़ी रहती !
पति व बच्चों के ख़्याल सारे वो रखती !
खुद की चिंता तो नहीं कभी वो करती !
इतना कुछ करके भी ताने घर के वो सहती !
ये बात सभ्य समाज पे बिल्कुल नहीं फबती !!
अतः औरतों को खूब सम्मान दें…..
औरतें खुश होंगी तभी हम खुश रह सकेंगे !
बातों-बातों में जब हम लड़ते-झगड़ते ना रहेंगे !
तभी घर-परिवार को खुशहाल रख सकेंगे !
जब इन औरतों को भी निहाल रख सकेंगे !
इन औरतों की मान-मर्यादा कभी ना भूलें !
संग मिल – जुलकर सदैव जीना सीख लें !
औरतों के हक़ का सम्मान उन्हें देना सीख लें !!
घर का हर सदस्य ही जब मुस्कुराता रहेगा !
इर्द – गिर्द का संसार भी सुरभित हो उठेगा !
‘अजित’ एक बेहतर संसार की कल्पना कर लें !
औरतों की चन्द खुशियाॅं सदा पूरी हम कर लें !
आओ उनकी ही मुस्कान पे सुंदर संसार बसा लें !
बचे-खुचे जीवन को हर तरह से खुशहाल बना लें !!
स्वरचित एवं मौलिक।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 03-09-2021.
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