Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Sep 2021 · 2 min read

औरतों को खूब सम्मान दें !

औरतों को खूब सम्मान दें !
••••••••••••••••••••••••••••
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐

औरतों को खूब सम्मान दें !
ना कभी उनका अपमान करें !
कुछ छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं !
आए दिन सुनने को जो मिलती हैं !
इन घटनाओं को जल्द ही लगाम दें !
इजूल – फिजूल बातों को विराम दें !!
औरतों को खूब सम्मान दें……

घर में ही मर्दानगी ना कभी दिखाएं !
ताकत अपनी सदा बाहर ही दिखाएं !
भोली-भाली औरतों पे रौब ना जमाएं !
सारी जरूरतें उनकी पूरी करते जाएं !
उनकी बेहतरी हेतु भी कोई कदम उठाएं !
औरतों को सदैव पर्याप्त सम्मान दिलाएं !!

औरतें,जो घर के सारे काम में हाथ बंटाती !
एक पैर पर घर में दिन-रात खड़ी रहती !
पति व बच्चों के ख़्याल सारे वो रखती !
खुद की चिंता तो नहीं कभी वो करती !
इतना कुछ करके भी ताने घर के वो सहती !
ये बात सभ्य समाज पे बिल्कुल नहीं फबती !!
अतः औरतों को खूब सम्मान दें…..

औरतें खुश होंगी तभी हम खुश रह सकेंगे !
बातों-बातों में जब हम लड़ते-झगड़ते ना रहेंगे !
तभी घर-परिवार को खुशहाल रख सकेंगे !
जब इन औरतों को भी निहाल रख सकेंगे !
इन औरतों की मान-मर्यादा कभी ना भूलें !
संग मिल – जुलकर सदैव जीना सीख लें !
औरतों के हक़ का सम्मान उन्हें देना सीख लें !!

घर का हर सदस्य ही जब मुस्कुराता रहेगा !
इर्द – गिर्द का संसार भी सुरभित हो उठेगा !
‘अजित’ एक बेहतर संसार की कल्पना कर लें !
औरतों की चन्द खुशियाॅं सदा पूरी हम कर लें !
आओ उनकी ही मुस्कान पे सुंदर संसार बसा लें !
बचे-खुचे जीवन को हर तरह से खुशहाल बना लें !!

स्वरचित एवं मौलिक।

अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 03-09-2021.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 624 Views

You may also like these posts

कविता
कविता
Rambali Mishra
सवाल
सवाल
Manisha Manjari
3089.*पूर्णिका*
3089.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
होरी के हुरियारे
होरी के हुरियारे
Bodhisatva kastooriya
श्रीराम तेरे
श्रीराम तेरे
Sukeshini Budhawne
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
"ये कैसा जुल्म?"
Dr. Kishan tandon kranti
"" *आओ बनें प्रज्ञावान* ""
सुनीलानंद महंत
सोशल मिडीया
सोशल मिडीया
Ragini Kumari
बिखरे सब अंदर से हैं
बिखरे सब अंदर से हैं
पूर्वार्थ
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
अपने कदमों को बढ़ाती हूँ तो जल जाती हूँ
SHAMA PARVEEN
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
हवा चली है ज़ोर-ज़ोर से
Vedha Singh
#प्रसंगवश-
#प्रसंगवश-
*प्रणय*
जाने बचपन
जाने बचपन
Punam Pande
*बाबा लक्ष्मण दास जी की स्तुति (गीत)*
*बाबा लक्ष्मण दास जी की स्तुति (गीत)*
Ravi Prakash
सूरज जैसन तेज न कौनौ चंदा में।
सूरज जैसन तेज न कौनौ चंदा में।
सत्य कुमार प्रेमी
हौसला न हर हिम्मत से काम ले
हौसला न हर हिम्मत से काम ले
Dr. Shakreen Sageer
शिकायत करते- करते
शिकायत करते- करते
Meera Thakur
संजीदगी
संजीदगी
Shalini Mishra Tiwari
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
गृहस्थ-योगियों की आत्मा में बसे हैं गुरु गोरखनाथ
कवि रमेशराज
हम हंसना भूल गए हैं (कविता)
हम हंसना भूल गए हैं (कविता)
Indu Singh
क्या गुनाह है लड़की होना??
क्या गुनाह है लड़की होना??
Radha Bablu mishra
मंजिल की तलाश में
मंजिल की तलाश में
Praveen Sain
यक़ीनन मुझे मरके जन्नत मिलेगी
यक़ीनन मुझे मरके जन्नत मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
#उम्र#
#उम्र#
Madhavi Srivastava
तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां
तुम जो रूठे किनारा मिलेगा कहां
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
प्रेम
प्रेम
Arun Prasad
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
Mamta Singh Devaa
/ आसान नहीं है सबको स्वीकारना /
/ आसान नहीं है सबको स्वीकारना /
Dr.(Hnr). P.Ravindra Nath
मां
मां
Phool gufran
Loading...