ओ बंसीवाले कान्हा
ओ बंसीवाले कान्हा अब तो जल्दी आना,
यमुना किनारे खड़ी राधिका, आ कर दरस दिखाना।
कब से खड़ी तेरी बाट जोहती, ओ मेरे श्याम सलोने,
लुक छुप कर हो मुझे सताते, ओ माखन के दिवाने।
मुझको बुलाया यमुना तीरे, खुद गोपियों संग वन में फ़िरे,
यूं सताओगे तो फिर ना मिलूंगी, ढुंढोगे फिर जमुना तीरे।
सुनके तेरी मुरली की तान, ब्याकुल मन को रोक ना पाऊं,
करके बहाने सताते हो ना, जाओ तुम्हारे बुलाने से भी ना आऊं।
ढुंढते फ़िरोगे मुझ को तुम, मैं गर कहीं छुप जो जाऊंगी,
नाम ना लेकर बंसी की धुन छेड़ो, तभी मैं तुम्हें मिल पाऊंगी।