Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Jul 2017 · 1 min read

ओ प्रियतम, सुनो ना—

…ओ प्रियतम, सुनो ना…। तुम्हारी छुअन के बिना मैं कैसी सूख सी गई हूं। तुम मुझे यूं ऐसे बिसरा गए हो कि अब कहीं मन नहीं लगता। ये तन, ये यौवन, ये केश सब के सब रेगिस्तान की रेत में गहरे उतरकर अब भी तुम्हारे अहसासों की शीतलता में जी रहे है। देखो, देखो ये मेरा शरीर, मेरा तन…ये सब पत्थर हुआ जा रहा है, ये विलाप मुझे अक्सर अपने आप में तुम्हें खोजने की जिद करता है लेकिन मैं पगली ये तय नहीं कर पाती कि मैं तुम्हें खोजूं या नहीं…। मन कहता है तुम मुझमें ही तो हो, बाहर तो नहीं…। विचारों का वेग कहता है कि मन में हो तो मिलते क्यों नहीं ? मन कहता है तुम्हें खोजना जैसे प्रेम की परीक्षा है…। मैंने तुमसे प्रेम तुम्हें परखने के लिए तो नहीं किया, तुम्हें अहसासों में गहरे उतारा है, मैं जानती हूं तुम कहीं किसी गहरे तूफान के बीच हो, संभवतः तुम अपने आप से जूझ रहे हो…। मैं तुम्हें खोजने कहीं नहीं जाउंगी, ये तन भले ही जड़ हो जाए, पत्थर हो जाए…। मैं जानती हूं तुम्हारी एक छुअन मुझे दोबारा हरा कर देगी, मैं जी उठूंगी, मैं खिल उठूंगी तुम्हारी छुअन से…। देखना तुम बरसोगे, मैं तुम्हारी बूंदों में जीवन को देखती हूं…तुम्हें बरसना होगा।
संदीप कुमार शर्मा

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 256 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

शेर
शेर
Abhishek Soni
मुक्तक
मुक्तक
लोकनाथ ताण्डेय ''मधुर''
" कविता "
Dr. Kishan tandon kranti
चंचल मन***चंचल मन***
चंचल मन***चंचल मन***
Dinesh Kumar Gangwar
उड़ने दे मुझे
उड़ने दे मुझे
सोनू हंस
जिंदगी झंड है,
जिंदगी झंड है,
कार्तिक नितिन शर्मा
अति सर्वत्र वर्जयेत्
अति सर्वत्र वर्जयेत्
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मानव का मिजाज़
मानव का मिजाज़
डॉ. एकान्त नेगी
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
प्यासा के कुंडलियां (विजय कुमार पाण्डेय 'प्यासा')
Vijay kumar Pandey
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
Ravikesh Jha
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
स्वागत है इस नूतन का यह वर्ष सदा सुखदायक हो।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मैं देर करती नहीं……… देर हो जाती है।
मैं देर करती नहीं……… देर हो जाती है।
MEENU SHARMA
ख़ामोश
ख़ामोश
अंकित आजाद गुप्ता
ज्योति : रामपुर उत्तर प्रदेश का सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक
ज्योति : रामपुर उत्तर प्रदेश का सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक
Ravi Prakash
दोस्ती
दोस्ती
Mansi Kadam
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !
तू है तसुव्वर में तो ए खुदा !
ओनिका सेतिया 'अनु '
कुछ नया लिखना है आज
कुछ नया लिखना है आज
करन ''केसरा''
So True...
So True...
पूर्वार्थ
मेरी राह
मेरी राह
Shekhar Deshmukh
चलने का नाम ज़िंदगी है
चलने का नाम ज़िंदगी है
Sonam Puneet Dubey
2 जून की रोटी.......एक महत्व
2 जून की रोटी.......एक महत्व
Neeraj Agarwal
**दुल्हन नई नवेली है**
**दुल्हन नई नवेली है**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
ना कहीं के हैं हम - ना कहीं के हैं हम
Basant Bhagawan Roy
ख्वाब उसका पूरा नहीं हुआ
ख्वाब उसका पूरा नहीं हुआ
gurudeenverma198
🙅भोलू भड़ासी कहिन🙅
🙅भोलू भड़ासी कहिन🙅
*प्रणय*
दिल के अरमान
दिल के अरमान
Sudhir srivastava
बस यूँ ही...
बस यूँ ही...
Neelam Sharma
तू जो कहती प्यार से मैं खुशी खुशी कर जाता
तू जो कहती प्यार से मैं खुशी खुशी कर जाता
Kumar lalit
मुकादमा चल रहा है अब मेरा
मुकादमा चल रहा है अब मेरा
shabina. Naaz
नारी के हर रूप को
नारी के हर रूप को
Dr fauzia Naseem shad
Loading...