Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2021 · 4 min read

ज्योति : रामपुर उत्तर प्रदेश का सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक

अतीत के झरोखों से
“””””””””””””””””””””””
ज्योति : रामपुर (उ.प्र) का सर्वप्रथम हिंदी साप्ताहिक
“”””””””‘”‘”””””””””””'””””””””””””””'”””””””””
अखबारों के पुस्तकों की तरह दूसरे या तीसरे संस्करण नहीं छपते। वह एक बार आते हैं और अपनी छाप छोड़ कर हमेशा हमेशा के लिए चले जाते हैं। इतिहास के पृष्ठों पर वह सदा के लिए अमर हो जाते हैं। अखबारों का काम सामयिक घटनाओं को प्रस्तुत करना, उनकी समीक्षा करना, जनता की दिन-प्रतिदिन की समस्याओं से जूझना, समाज में अव्यवस्थाओं पर चुटकियाँ लेना, कुछ कटाक्ष करना ,.थोड़ी बहुत टीका- टिप्पणियाँ करना, कुछ हँसी मजाक, कुछ व्यंग्य ,कुछ आपबीती और कुछ दुनिया की कहानी ,इन्हीं सबसे अखबार बनता है।
रामपुर (उत्तर प्रदेश)से सर्वप्रथम प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक “ज्योति” में इन सब विशेषताओं का अद्भुत सम्मिश्रण था । 26 जून 1952 को ज्योति का पहला अंक प्रकाशित हुआ। पत्र ने कश्मीर समस्या की ओर प्रथम पृष्ठ पर ही पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया। संपादकीय सारगर्भित विचारों तथा सधी हुई भाषा शैली से ओतप्रोत था। यह केवल मनोरंजन के लिए निकाला जाने वाला साप्ताहिक नहीं था। इसके मूल में एक स्पष्ट राष्ट्र- रचना का विचार था ।
ज्योति जनसंघ का मुखपत्र था। इसे जनसंघ के युवा और उत्साही कार्यकर्ताओं ने मिलकर शुरू किया था । जनसंघ के ओजस्वी लेखक और विचारक श्री रामरूप गुप्त जो कि बाद में हिंदुस्तान समाचार के माध्यम से पत्रकारिता के शीर्ष पर विराजमान हुए ,”ज्योति “साप्ताहिक के प्रकाशक बने । संपादक के रूप में श्री महेंद्र कुलश्रेष्ठ ने अपनी धारदार लेखनी से पत्र को निसंदेह एक अलग पहचान दिलाई ।

इतिहासकार श्री रमेश कुमार जैन को लिखे गए 20 फरवरी 1987 के पत्र में रामरूप गुप्त जी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार श्री महेंद्र कुलश्रेष्ठ के बाद ज्योति के संपादक श्री रामरूप गुप्त जी बने। उसके बाद श्री बृजराज शरण गुप्त जी ने ज्योति के संपादक का कार्यभार ग्रहण किया। संपादन में सहयोगी के रूप में श्री रामेश्वर शरण सर्राफ तथा श्री महेंद्र प्रसाद गुप्त का भी सहयोग रहा। ज्योति का कार्यकाल मात्र 3 वर्ष रहा। जून 1955 मेंज्योति बंद हो गया।

ज्योति साप्ताहिक हिंदुस्तान प्रेस में छपता था ,जिसके मालिक स्वयं राष्ट्रीय विचारधारा के अग्रणी साधक श्री राम कुमार जी थे। हिंदुस्तान प्रेस रामपुर शहर के हृदय स्थल मेस्टन गंज में ” हनुमान मंदिरवाली गली” के ठीक सामने स्थित था । पत्र से पता चलता है कि 1952 में यह 15 वर्ष पुराना प्रेस हो चुका था।
पत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के रामपुर में नए गंज के मैदान में जनसभा की सूचनाएँ जैसी सामग्री भी पाठकों को दी जाती थीं । (10 जुलाई 1952 अर्थात् वर्ष 1 अंक 3 )
ज्योति का प्रवेशाँक 26 जून 1952, दूसरा अंक 3 जुलाई 1952 तथा तीसरा अंक 10 जुलाई 1952 सभी में प्रमुखता से कश्मीर के प्रश्न को उठाया गया । ज्योति जनसंघ की राष्ट्रीय विचारधारा से प्रेरित रहा था और राजनीति में यह कांग्रेस की रीति- नीतियों का विरोधी था। अखबार में 8 पृष्ठ होते थे।
कुल मिलाकर प्रमुखता से जनसंघ की राष्ट्रवादी विचारधारा को आगे बढ़ाने में तथा जनसंघ के अभ्युदय की दृष्टि से ज्योति हिन्दी पत्रकारिता में बड़ा कदम रहा।
“ज्योति” के साथ मेरा लगाव कई कारणों से रहा। पहला तो यह कि इसकी स्थापना का श्रेय जिन श्री रामरूप गुप्त जी को जाता है , वह मेरे पिताजी श्री राम प्रकाश सर्राफ के अत्यंत घनिष्ठ मित्र थे । मैं उन्हें ताऊजी कह कर पुकारता था। अतः ज्योति के अंको में प्रकाशक के रूप में उनके नाम को पढ़ना एक प्रकार से उनकी पावन स्मृति को प्रणाम करना है।
सबसे ज्यादा ज्योति के प्रारंभिक अंकों को पढ़ने के पीछे मेरा मुख्य आकर्षण यह रहा कि 10 जुलाई 1952 के अंक में पूज्य पिताजी श्री रामप्रकाश सर्राफ का एक पत्र संपादक के नाम प्रकाशित हुआ है , जिसमे उन्होंने गाँधी पार्क में जनसभा करने पर नगर पालिका द्वारा दस रुपए का टैक्स लगाए जाने का विरोध किया है। संभवत इसका कारण यह रहा होगा कि जनसंघ मध्यम वर्ग के नवयुवकों का राजनीतिक दल था और अब उन्हें लग रहा था कि गाँधी पार्क में सभा करने पर बजट में दस रुपए का खर्च बढ़ जाएगा ,जो उस समय एक बड़ी रकम हुआ करती थी।
संयोगवश 10 जुलाई 1952 के ही अंक में विद्यार्थी परिषद के संयोजक के रूप में डिग्री कॉलेज के विद्यार्थी श्री महेंद्र प्रसाद गुप्त जी का समाचार भी प्रकाशित हुआ है तथा दीनदयाल उपाध्याय जी के द्वारा विद्यार्थी परिषद के उद्घाटन की सूचना भी छपी है । महेंद्र जी मेरे ससुर थे । ज्योति ने हिंदी साप्ताहिक प्रकाशित करने से जो वातावरण तैयार किया ,उससे महेंद्र जी को कुछ वर्षों के बाद हिंदी साप्ताहिक “सहकारी युग ” निकालने की प्रेरणा मिली , जिससे रामपुर और उसके आसपास का ही नहीं बल्कि अखिल भारतीय स्तर पर साहित्यिक परिदृश्य पूरी तरह बदल गया।
########################
लेखक :रवि प्रकाश पुत्र श्री राम प्रकाश सर्राफ, बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

614 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
सरकारी
सरकारी
Lalit Singh thakur
*अगर आपको चिंता दूर करनी है तो इसका सबसे आसान तरीका है कि लो
*अगर आपको चिंता दूर करनी है तो इसका सबसे आसान तरीका है कि लो
Shashi kala vyas
💐प्रेम कौतुक-220💐
💐प्रेम कौतुक-220💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दिल की हरकते दिल ही जाने,
दिल की हरकते दिल ही जाने,
Lakhan Yadav
प्रेम एक्सप्रेस
प्रेम एक्सप्रेस
Rahul Singh
जिसका हम
जिसका हम
Dr fauzia Naseem shad
At the age of 18, 19, 20, 21+ you will start to realize that
At the age of 18, 19, 20, 21+ you will start to realize that
पूर्वार्थ
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
गिरता है धीरे धीरे इंसान
गिरता है धीरे धीरे इंसान
Sanjay ' शून्य'
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
Paras Nath Jha
बारिश
बारिश
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
पढ़ना सीखो, बेटी
पढ़ना सीखो, बेटी
Shekhar Chandra Mitra
नदियां जो सागर में जाती उस पाणी की बात करो।
नदियां जो सागर में जाती उस पाणी की बात करो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
"मयखाना"
Dr. Kishan tandon kranti
छप्पय छंद विधान सउदाहरण
छप्पय छंद विधान सउदाहरण
Subhash Singhai
तुम
तुम
Sangeeta Beniwal
रहो नहीं ऐसे दूर तुम
रहो नहीं ऐसे दूर तुम
gurudeenverma198
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
हक औरों का मारकर, बने हुए जो सेठ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अपनी यही चाहत है_
अपनी यही चाहत है_
Rajesh vyas
इन्द्रधनुष
इन्द्रधनुष
Dheerja Sharma
गाडगे पुण्यतिथि
गाडगे पुण्यतिथि
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ब्याह  रचाने चल दिये, शिव जी ले बारात
ब्याह रचाने चल दिये, शिव जी ले बारात
Dr Archana Gupta
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
मशीन कलाकार
मशीन कलाकार
Harish Chandra Pande
भूमि भव्य यह भारत है!
भूमि भव्य यह भारत है!
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
* धन्य अयोध्याधाम है *
* धन्य अयोध्याधाम है *
surenderpal vaidya
कछुआ और खरगोश
कछुआ और खरगोश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
3051.*पूर्णिका*
3051.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*पीड़ा हिंदू को हुई ,बाँटा हिंदुस्तान (कुंडलिया)*
*पीड़ा हिंदू को हुई ,बाँटा हिंदुस्तान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
Loading...