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28 Nov 2019 · 1 min read

ओ जमाना कुछ अउ रहिस

मिरचा चटनी म खावन बासी,
मन नी रहिस कभु उदासी।
ओ जमाना कुछ अउ रहिस,
ये जमाना कुछ अउ हे।

बइला गाड़ी म धान लानन,
दुख पीरा सबके जानन।
ओ जमाना कुछ अउ रहिस,
ये जमाना कुछ अउ हे।

कोदो कनकी के खविया रहेन,
घाम पियास सब्बो ल सहेन।
ओ जमाना कुछ अउ रहिस,
ये जमाना कुछ अउ हे।

गोबर खातु ल डोली म लेगन,
दौउरी फानके पैरा ल फेकन।
ओ जमाना कुछ अउ रहिस,
ये जमाना कुछ अउ हे।

माटी के घर खपरा के छानी,
थप थप चूहे उपर ले पानी।
ओ जमाना कुछ अउ रहिस,
ये जमाना कुछ अउ हे।
~~~~~~~~~~~~~
रचनाकार डीजेन्द्र क़ुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभवना,बिलाईगढ़,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822

Language: Hindi
2 Likes · 384 Views
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