ओ चिरैया
ओ चिरैया
मैंने देखा है तुम्हें
एक एक तिनका लाकर
घोंसला बनाते
रात दिन तपस्या कर
अंडों को सेते, बच्चों को बचाते
सहमते हुए डर को
दृढ़ता में छिपाकर
दाना खोजने जाते
सारी थकान भूल
बड़े प्यार से
बच्चों को
एक एक दाना खिलाते
और फिर
पंख फैला फैला कर
उन्हें उड़ना सिखाते
अब
जब तुम्हारी इच्छा के अनुरूप
बच्चों ने
ले लिया अपना रूप
और उड़ने लगे वो
सफलता की ऊँचाई
मैं पूछना चाहती हूँ
तुम्हारे मन में
अकेलेपन का दर्द है
या
उनके उड़ने की
खुशी है समाई