ओढ़ो गरम रजाई (बाल गीत )
ओढ़ो गरम रजाई (बाल गीत )
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सूरज दादा नहीँ दीखते नहीँ धूप हैँ लाते
आसमान मेँ छाए कोहरे मेँ ही छुप- छुप जाते
छुट्टी है विद्यालय की अब करना नहीँ पढाई
सुबह उठो नौ बजे, रात-भर ओढ़ो गरम रजाई
दिन मेँ भारी स्वेटर पहने. मोजे गरम चढ़ाए
अंगीठी के पास बैठते, फिर भी हैँ ठिठुराए
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रचयिता :रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451