ओस
ओस
वायु मण्डल की आर्द्रता देखो
नवयौवना का रूप धार रही
मिल शीतल समीर संग यह
मोती की लड़ियाँ लग रही ।
बिखर-बिखर पर्ण पुष्पों पर
हीरे सी जग-मग कर रही
है कौन इनको बनाने वाला
किसकी यह कल्पना रही ।
अरूणोदय की पहली रश्मि
रूप इसका संवार रही
तारों से टिमटिमाते यह
चन्द्र ज्योत्सना लग रही ।
क्षण भंगुर सा जीवन इनका
जीवन भरपूर जी रही
हर्षोल्लासित भूमण्डल कर
वाष्पित हो कर उड़ रही ।
ललिता कश्यप सायर डोभा
जिला बिलासपुर (हि0 प्र0)