ओल्ड इस गोल्ड
भारतीय फिल्म जगत रूपी वृक्ष की डालियों से अब तक ना जाने कितने पुराने फूल व् पत्तियां झर गए , और आगे आने वाले वक्त में भी झरते जायेंगे. कुछ तो लोगों को याद रहेंगे ,और कुछ को भूल जायेंगे. किसी वृक्ष से पुराने फूल पत्तों का झर जाना और नयों को आना ,ज़माने की यही रीत है. भारतीय फिल्म जगत से भी पुराने कलाकार जायेंगे और नए आयेंगे . मगर दिल से गर महसूस किया जाये तो नए कलाकारों में वोह बात कहाँ ,जो पुरानो में थी . तभी तो कहा जाता है ”OLD IS GOLD ” . पुराने अदाकार , फिल्म- निर्माता -निर्देशक, संगीत -कार ,गायक आदि भुलाये नहीं भूलते. उनकी अदाकारी ,कार्य-कुशलता . रूप -लावण्य,व्यक्तित्व और दिलकश अंदाज़ आदि .
ज़माना चाहे जितना बदल जाये, हम नहीं बदलने वाले और ना ही बदल सकेंगे. I really miss Golden Era ( 1940 -1979 ) of Indian film Industries .