ओर मियां क्या चल रिया है? (एक व्यंग बाण)
बड़े मियां सलाम वालेकुम, वालेकुम अस्सलाम मियां। आजकल क्या चल रिया है बड़े मियां? बाहर ही नईं निकल रिये हो? अरे हां मियां, क्या डंडे मंडे खाने का इरादा है? लॉक डाउन चल रिया है, पुलिस तोड़ देगी, मियां परसों निकला था पान की जुगाड़ में, फंस गिया था। फिर मियां, फिर क्या मियां, भागते भागते एक तो चिपका ही दिया था पुट्ठे पर। अरे हां मियां अब तो बोर हो गए घर में पड़े पड़े। न काम न धंधा, क्या मुसीबत है। पटिए वीरान पड़े हैं, त्योहारों की रौनक चली गई, न बाजार न शिकार,मईने भर से बड़े तालाब तक भी नई जा पाए,ऐंसा टेम कभी नई देखा, मालिक न दिखाएं मियां, सब ऊपर वाले का डंडा चल रिया है आदमी भी तो भोत उड़ रिया है। न दीन न धरम सब उल्टा उल्टा खैर छोड़ो मियां, ये अब तो लंबा चलेगा। लोग भी तो नईं मान रिये हैं, बिना मास्क के घूम रिये हैं। क्या होगा दुनिया का, ऊपर वाला ही जाने। जाने दो मियां और क्या चल रिया है? वो देखो राजस्थान में, महीने भर से नाटक चल रिया है। मियां सियासत की तो बात ही मत किया करो, सब कुर्सी का खेल है। शह और मात का खेल चल रिया है। मियां इनसे तो हम अच्छे हैं, अपने घर में तो हैं,ये तो महीने भर से जेल में पड़े हैं। क्या कै रिये हो मियां, अरे हां मियां, होटल जेल ही तो है, सुना है मोबाइल भी छीन लिए हैं। क्या होगा वतन का, देखते हैं ऊंट किस करवट बैठता है, 15 अगस्त तक सब डिसाइड हो जाएगा। अपना तो सावन भी सूखा गया ईद भी यूं ही निपट जाएगी। अरे हां मियां वो आशिक बतोला दिखा था क्या, बहुत दिन से नहीं मिला, वो भी कहीं बतोले मार रिया होगा, उसको चेन थोड़ी है एक दिन मिला था, वो भी डंडे मंडे खाकर आ रिया था कहीं से। अच्छा मियां खुदा हाफिज, निकलो अब नहीं तो पड़ जाए पिछवाड़े पर, मियां खुदा हाफिज।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी