ओम् के दोहे
ढेर ढेर हो जात है , एक सीमा के बाद ।
ओम सदा हद में रहें , हो जायें बर्बाद ।।
प्रकृति पूजक बने रहें , करें प्रकृति से प्यार ।
ओम जब विपरीत चलें , सह न सकेंगे मार ।।
मानव मानव से करे , मानवता व्यवहार ।
ओम जब अमानव हुए , जीत बन जाए हार ।।
ओम प्रकाश भारती ओम् ्