ओढ़ू तिरंगा का प्यारा कफन
बहुत शान तेरी है प्यारे वतन।
नमन तझको करता है,झुकके गगन।।
यहां हिंदू मुस्लिम और सिख इसाई।
लाल है तेरे मां सब भाई भाई।।
सीखा है हमसे ,जग ने चलन।। बहुत,,,,,,
हिमालय से ऊंचा है गौरव तुम्हारा।
बहे तेरे सीने में गंगा की धारा ।।
धोता है सागर,निसदिन चरन।। बहुत,,,,,,
वतन की ही खातिर मिटें तन हमारा।
बना दे ओ दाता मुकद्दर हमारा।।
ओढ़ू तिरंगा का,प्यारा कफन।।
बहुत शान,,,,,,,,
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