ओज वाणी लिखूँ
देश के नाम अपनी जवानी लिखूँ।
वीरता की जहाँ में निशानी लिखूँ॥
बोस आजाद सुखदेव औ राज गुरु।
फिर भगत सिंह की मैं कहानी लिखूँ॥
त्याग कर चल पड़े वीर घर द्वार जो।
उन सभी की यहाँ पर रवानी लिखूँ॥
काट दें जो गुलामी की’ जंजीर को।
देश भक्तों की’ मैं ओज वाणी लिखूँ॥
देश फिर से बिखरता हुआ लग रहा।
नौजवानों की’ फिर मेजबानी लिखूँ॥
घुस रहे आततायी यहाँ देश में।
रोकने की उन्हें सावधानी लिखूँ॥
हिन्द में हिंदुओं पर अनाचार है।
दर्द उनके मैं’ अपनी जुबानी लिखूँ॥
देश द्रोही पनपने लगे आजकल।
रक्त को उनके मैं सिर्फ पानी लिखूँ॥
आज नेता लुभाने लगे हैं पुनः।
वोट के लोभ की खींचतानी लिखूँ॥
राह अपनी बनायें स्वयं हम सभी।
है यही गुण सुनों खानदानी लिखूँ॥
जागिये हिन्द के नवजवानों सभी।
हौसला आपके आसमानी लिखूँ॥
दिनेश कुशभुवनपुरी