ओछी राजनीति
ओछी राजनीति
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राजनीति राज्य सरकार
जनता का अंतरसंबंध,
कलुषित मानसिकता
हलाहल विष ,
जातिवाद वर्गवाद भाषावाद धर्मवाद/
क्षेत्रवाद दलीय द्वन्द्वाद के आगोश में
व्यक्तिगत आरोप -प्रत्यारोप ओछी राजनीति,
संकीर्ण मानसिकता कुंठित विचारधारा /
राजनीति से हटकर निंदनीय कृत्य ,
अमर्यादित व्यक्तिगत कुत्सित प्रतिक्रिया,
समाचार पत्रों एवम् सोशल मीडिया में ,
बने रहने की ललक /
जन आकर्षण का केंद्र बिंदु
सुर्ख़ियों में बने रहना ,
न्यूज चैनल दैनिक अख़बार
प्रथम पृष्ठ छायांकन की होड़
राजनैतिक दंगल प्रखर मीडिया मोर्चा
अस्सी – नब्बे के दशक
खोज रहे थे राह
शुरूवाती दौर का पहला
कुत्सित राग [भाषण]
ललकार बने नव सूत्रधार
ब्रह्मण क्षत्रिय बनिया [वैश्य] पर
किए जो ओछा वार /
धीरे – धीरे चल पड़ी
राजनैतिक बाजार ,
कुछ उग्र विचारों ने किया
विष वर्धन का काम ,
दलीय व्यवस्था से परे
कर रहे प्रलाप /
मानवता को भूल कर
बड़े सहज हर राह /
दोष अगर नर से हुआ,
गाली खाती नारि/
यह कैसा अभिशाप है
बिना दोष बिलखात/
हर गाली में माँ बहन , बेटी
ही क्यों राग /
परंपरा अभिशाप बन
समय – समय पर बलखात/
राज नीति के द्वार पे
कुछ ओछे बिल खात/
स्वार्थ सिद्धि साधन हुआ ,
कैसी नीति लोभात,
जीर्ण -सीर्ण होने लगी
संस्कार बिलखाय /
पछुआ बही बयार जब
संस्कार बड़ कार/
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राजकिशोर मिश्र ‘राज’ प्रतापगढ़ी
11/08/2016