Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2018 · 1 min read

ऑफिस मे मै।

रोज मै कुछ न कुछ ढूंढ़ता रहता हूँ।
कंप्यूटर के क्लिक से ब्राउज़र की ब्राऊज़िंग तक मै उलझा सा रहता हूँ।

ऑफिस के कमरे की खिड़की से लोग गुज़रते देखता रहता हूँ।
कोई बुला ले तो बोल पड़ता हूँ वरना मूक बधिर की मुकता को ओढ़े रहता हूँ।

रोज सुबह उठकर दफ्तर को चल पड़ता हूँ।
घर आने का पता नही फिर भी अनजानी-अनछुई फाइलों मे ख़ुद को छुपाये रखता हूँ।

कोई ख़ुद को श्रेष्ठ बताता है कोई मुझमे खोट निकलता है।
मै बरगद की छाल सा झुका सबकी सुन ऑफिस से निकल आता हूँ।

होड़ नही यहाँ किसी से मेरी ये मै ख़ुद को बार-बार समझाता हूँ।
गर ख़ुद पे आ जायें बात इश्कबाज़ तो भगत ऑफिस के हर काम को कर के बतलाता है।

#रमन इश्कबाज़

Language: Hindi
2 Likes · 447 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*खोटा था अपना सिक्का*
*खोटा था अपना सिक्का*
Poonam Matia
करुंगा अब मैं वही, मुझको पसंद जो होगा
करुंगा अब मैं वही, मुझको पसंद जो होगा
gurudeenverma198
स्त्री मन
स्त्री मन
Surinder blackpen
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
हर एक मंजिल का अपना कहर निकला
कवि दीपक बवेजा
कागज़ ए जिंदगी
कागज़ ए जिंदगी
Neeraj Agarwal
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
*मुंडी लिपि : बहीखातों की प्राचीन लिपि*
Ravi Prakash
सखी री, होली के दिन नियर आईल, बलम नाहिं आईल।
सखी री, होली के दिन नियर आईल, बलम नाहिं आईल।
राकेश चौरसिया
गाँव कुछ बीमार सा अब लग रहा है
गाँव कुछ बीमार सा अब लग रहा है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढते हैं ।
वो ख्वाबों में अब भी चमन ढूंढते हैं ।
Phool gufran
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
Er. Sanjay Shrivastava
(5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता )
(5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता )
Kishore Nigam
पंखों को मेरे उड़ान दे दो
पंखों को मेरे उड़ान दे दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
" बीकानेरी रसगुल्ला "
Dr Meenu Poonia
नैन
नैन
TARAN VERMA
3333.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3333.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
'आभार' हिन्दी ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
चेहरे की तलाश
चेहरे की तलाश
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मुहब्बत सचमें ही थी।
मुहब्बत सचमें ही थी।
Taj Mohammad
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
निरन्तरता ही जीवन है चलते रहिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---6. || विरोधरस के उद्दीपन विभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
कुंडलिया छंद विधान ( कुंडलिया छंद में ही )
कुंडलिया छंद विधान ( कुंडलिया छंद में ही )
Subhash Singhai
◆आज की बात◆
◆आज की बात◆
*Author प्रणय प्रभात*
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
बेटी और प्रकृति से बैर ना पालो,
लक्ष्मी सिंह
महत्व
महत्व
Dr. Kishan tandon kranti
-शेखर सिंह ✍️
-शेखर सिंह ✍️
शेखर सिंह
सच्ची बकरीद
सच्ची बकरीद
Satish Srijan
कट रही हैं दिन तेरे बिन
कट रही हैं दिन तेरे बिन
Shakil Alam
हम मोहब्बत की निशानियाँ छोड़ जाएंगे
हम मोहब्बत की निशानियाँ छोड़ जाएंगे
Dr Tabassum Jahan
दिखावा कि कुछ हुआ ही नहीं
दिखावा कि कुछ हुआ ही नहीं
पूर्वार्थ
Loading...