ऑक्सीजन
डॉक्टर साहब ! मेहरबानी करके मेरे पति को ऑक्सीजन चढा दो |
देखो, हमारे पास सिर्फ एक व्यक्ति के लिए ही ऑक्सीजन बची है और वह भी हम यह दादी माँ को आवंटित कर चुके है |
डॉक्टर साहब कुछ भी करिए | हम गरीबो की मदद करो | ये छोटे – छोटे बच्चो का कही सहारा न छिन जाए और इनका भविष्य बिगड़ न जाये | मैं आपके पैर पड़ती हूँ डॉक्टर साहब |
अरे मैंने आपको बोल दिया न | कि हमारे यहाँ अब ऑक्सीजन नही है सिर्फ यह दादी माँ के लिए ही है |
चलिए दादी माँ आप अन्दर चलिए |
रुको डॉक्टर साहब | मैं तो अपनी जिंदगी के आखिरी अध्याय में चल रही हूँ | मैंने 75 साल की उम्र में अपनी सब जिम्मेदारियां पूरी कर ली है, अब कोई इच्छा भी बची नही है | लेकिन इसके सामने तो अभी पूरी जिंदगी बची है | बच्चो का भविष्य है | आप मेरी जगह इस महिला के पति को ऑक्सीजन दे दो |
लेकिन अगर आप को कुछ हो गया तो ?
अरे डॉक्टर साहब मेरी तो उम्र ही हो गई है अगर कुछ हो भी गया तो घरवाले दो चार दिन आँसू बहाके भूल जायेगे | लेकिन अगर इस गरीब महिला के पति को कुछ हो गया तो यह जिंदगी भर अपने आँसू बहाते रहेगी |
अरे आप अपने जीवन का बहुत बड़ा जोखिम उठा रही है |
अरे काहे की जोखिम ? देखिये अन्दर जाते हुए उस महिला के दुआ के आँसू “ऑक्सीजन” बनकर मेरे को मरने नही देंगे |
गोविंद उइके