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27 May 2021 · 1 min read

ऑंसू बह रहे हैं

**ऑंसू बह रहे हैं(गजल)**
****222 222 122****
**********************
आँसू आँखों से बह रहे हैं,
गाथा गम की वो कह रहे हैं।

मन की पीड़ा कोई न समझे,
व्यथा उर की हम सह रहे हैं।

मातम ने आत्मा है हिलायी,
दुख के गोले भी तह रहे हैं।

फूलों सा है प्यारा हमारा,
नैनों के तारे वह रहे हैं।

ख्यालों में कब से है बसाया,
स्वप्न जीवन के यह रहें हैं।

मनसीरत ने हिय में सजाया,
जलधारा पर बन चह रहें हैं।
**********************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

228 Views
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