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9 Aug 2020 · 1 min read

ऐ हवा मेरे दिल की बात सुन

ऐ हवा मेरे दिल की बात सुन
**********************

ऐ हवा मेरे दिल की बात सुन
बज रही यहाँ प्रेमराग की धुन

स्नेह के बादल छाये घन घोर
सुनने लगी है मेघों की गर्जन

नेह की बरसे शीत स्वाति बूँद
हृदय मचलता है बन बेचैन

भावनाओं की अंगीठी तपी
शीतलता का ना नामोनिशान

अंगड़ाई लेता है अंग अंग
वश में नहीं रहा है मेरा मन

जैसे नीर बिन मीन हो प्यासी
कब बरसेगा वह स्नेही सावन

धरती नभ को जैसे है आतुर
भला कैसे हो पाएगा मिलन

सुखविंद्र दिल में नाचता मोर
भावविभोर हो उठेगा उपवन
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
238 Views
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