ऐ सीमा पर रहने वाले
ऐ सीमा पर रहने वाले,,
ऐ गोली को सहने वाले,,
ऐ जय भारत कहने वाले,,
जब होली खेली जाती है,,
तुम गोली को हो सह लेते।
जब घर जाते दीवाली पर हम,,
तुम सीमा पर ही रह लेते।।
युद्ध समय जब आता है,,
तोपों की गर्जन होती है।
इधर घर में तुम्हारी माँ,,
अंदर ही मन-मन रोती है।।
जब जंग जीतकर आते हो,,
विजयी माँ भारती होती है।
अभिनंदन होता तुम लोगों का,,
देवों-सी आरती होती है।।
जब तुम शहीद हो जाते हो,,
हो जाते हो मर-कर भी अमर।
कहते फिर भी तुम ओज सहित,,
फिर जन्म लेकर जीतूँगा समर।।
न हो जवानों पर राजनीति,,
जो देश के होते रखवाले,,
यह देश उन्हीं से रक्षित है,,
ऐ सीमा पर रहने वाले।।
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————-भविष्य त्रिपाठी………..