ए वक्त!
मैं चकित हूं
तुम्हारे बदलाव पर..
इतना गुमसुम कर चुके हो
दुनिया को..
नि: शब्द कर दिया है
हर आरंभ एवं अंत को
ए वक्त!
सुनो ना
खिलखिलाता सा
थोड़ा गुलाबी..
खुशियों से जगमगाता सा
नवगीत गुनगुनाता सा
एक नया युग
फिर ले आओ ना!
मैं चकित हूं
तुम्हारे बदलाव पर..
इतना गुमसुम कर चुके हो
दुनिया को..
नि: शब्द कर दिया है
हर आरंभ एवं अंत को
ए वक्त!
सुनो ना
खिलखिलाता सा
थोड़ा गुलाबी..
खुशियों से जगमगाता सा
नवगीत गुनगुनाता सा
एक नया युग
फिर ले आओ ना!