ऐ मौत ??
तुझ को न समझ पाया कोई आज तक !!
कि तू आती कब है, और ले जाती किधर है
सब कुछ तो हाईटेक हो गया, शायद तू बेखबर है
कितना इंसान सुलझ गया, पर तू उलझाती क्यूं है
तुझ को न समझ सका, तू सच ले जाती किधर है ??
छोड़ के चले आते हैं लोग, शमशान तक
वो भी मिल जाता है राख में, सब कुछ छोड़ कर
जिन्दगी सच बेवफा है, तू तो पक्की महबूबा
पर समझ नहीं पाता, तू ले जाती किधर है ??
रोते रहते हैं सब पीछे ,जिन को छोड़ जाता है माली
आया था खाली और फिर जाता भी है यहाँ से खाली
पैदा होता है इंसान, समय पर तबाह हो जाता है
रह जाता हैं सवाल बाकी, पर तू ले जाती किधर है ??
अजीत कुमार तलवार
मेरठ