ऐ मेरे व्यग्र मन….
हताश ना हो, ऐ मेरे मन
अगर पुष्पित फूल
मुरझा गए तो क्या हुआ ?
फिर मुरझाए फूलों के बीजों से
नए पुष्प खिलेंगे
और फैलाएँगे वे अपनी
खुशबू दूर-दूर तक |
उदास ना हो, ऐ मेरे मन
यह दौर अगर निराशा से है भरा
तो कर लो संघर्ष कुछ दिन
कभी ना रहा है समय स्थायी
एक दिन ये निराशापूर्ण दौड़ भी गुजर जाएगा |
मत रोओ, ऐ मेरे मन
रखो बचाकर इन आंसुओं को
इन आंसुओं से सींच लो जीवन को
और बना लो उपजाऊ |
उद्विग्न ना हो, ऐ मेरे मन
चिंतित ना हो ऐ मेरे मन
माना इस बार किया तुमने मेहनत में कमी,
पर क्या हुआ ?
इस बार नहीं
तो अगली बार ही सही
पर कर मेहनत कुछ इस कदर,
हो जाए मेहनत तुझ पर निर्भर |