ऐ मेरी जिंदगी
ऐ मेरी ज़िंदगी
तुम मुझसे करीब से
मोहब्बत करती रही,
और मैं जाने कहाँ मुद्दत से
तुम्हें तलाशती रही,
ऐ प्यारी जिन्दगी मेरी,
मेरे मन के आवारापन में
तू मुझे हरपल समझाती रही,
और मैं नादान नासमझ रही,
ऐ हसीं जिंदगी मेरी
मेरे निराशा के अँधेरों में
तूने हौसलों से मुझे जिंदा रखा,
और मैं समझती रही
गुम हो गये हम यहीं कहीं
ऐ खुली जिन्दगी मेरी
अनगिनत सवालों के घेरे में
मैं इस जहाँ में उत्तर ढूंढती रही
और उत्तर बनकर तू
मेरे भीतर ही हँसती रही।
पूनम कुमारी(आगाज ए दिल)