ऐ फरेब-ए-दिल एक मशवरा कर दे,
ऐ फरेब-ए-दिल एक मशवरा कर दे,
तू उसके खयालो को रवाना कर दे,
गर बुलाना हो निगाहों से इशारा कर दे,
दिल में सुलगते शोलो को अंगारा कर दे,
छु कर दिल मेरा, इशारा कर दे,
पल भर को जशन-ए-बहारा कर दे,
दर्द को दिल से न्यारा कर दे,
तू मुझको इश्क़ का तारा कर दे,
ऐ ज़माने या तो उनको हमारा कर दे,
या हमें, अल्लाह को प्यारा कर दे,
बहुत कहते है की शरीफ है साहिब,
चल बे इश्क़ अब इसे आवारा कर दे,