ऐ खुदा क्या खता है मेरी
ऐ खुदा क्या खता है मेरी
ज़िन्दगी ही सज़ा है मेरी
इसके पीछे नहीं है खुशी
मुस्कुराना अदा है मेरी
दिल में तूफान लब पे हँसी
एक ये भी कला है मेरी
गम का हमको ज़खीरा मिला
रेखा में हर लिखा है मेरी
अश्क़ पीकर ही आता करार
‘अर्चना’ ये दवा है मेरी
13-02-2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद