ऐ काश, ऐसा हो।
ऐ काश,ऐसा हो कि तुमको भूल मैं जाऊं।
थोड़ा सा ही सही पर इस दिल में सुकूं मैं पाऊं।।1।।
यूं दिल को बड़ा ही आजमाइशों में डाला।
झूठी हंसी हंस के खुद को कब तक मैं रुलाऊं।।2।।
टूट गई हर तमन्ना मेरे नफ्स ए कल्ब की।
कोई कासिद तो आए झूठी उम्मीद ही मैं पाऊं।।3।।
इश्क का आगाज,अन्जाम देख लिया है।
ऐ काश,मौत आ जाए और तुर्बत को मैं जाऊं।।4।।
तन्हा कब तक लड़े हम गमों से जहां में।
कोई तो अपना हो संग हिम्मत जो मैं दिखाऊं।।5।।
मुद्दत हुई है बंजारों सी जिंदगी जीते हुए।
आज देखो खुद के ही घर का पता ना मैं पाऊं।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ