ऐ आकाश के पंछी
ऐ आकाश के पंछी
तू न जाने कितने समय से
पंख फैलाकर
हवाओं में
उड़ता चला जा रहा है
थकता नहीं क्या
मैं तो बेदम हो गई
तेरे पीछे भागते भागते
अब तो तनिक
नीचे उतर आ
धरातल पर
मेरे पास
मेरे करीब
मेरी गोद में सिर रखकर
थोड़ी देर विश्राम कर ले
एक जलाशय के पास बैठकर दोनों
ढेर सारी फिर
मीठी मीठी बातें करेंगे और
इस जलाशय का
अमृत स्वरूप जल ग्रहण करके
अपनी बरसों की प्यास शान्त
करेंगे और
अनायास ही इस जलाशय को भी
अपनी जिन्दगी की रस की
फुहार में
अपनी हल्की फुल्की पर
गम्भीर एवं गहरे विषयों की
वार्तालाप में शामिल करेंगे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001