ऐसे ही रिश्ते निभाना ___ कविता
ऐसे ही रिश्ते निभाना।
आना और बुलाना।
बदल जाए चाहे जमाना।
अपना सच्चा याराना।।
वैसे कौन पूछता है आजकल,
कोई अपने खास को।
पर हमें नहीं,
वह राह अपनाना।।
ना तुम्हें रहना,
हमें भी है जाना।
क्यों छोड़े हम फिर,
यह प्रीत का तराना।।
कोई कैसे ही रहे,
उन्हें भी हमको है समझाना,
न रखना दूरियां,
नजदीकियां बढ़ाना।।
राजेश व्यास अनुनय