ऐसे बेटे से औलाद न हो
” पापा , सोमेश के बिजनेस के लिए अभी दो लाख रूपये चाहिए । अगले महिने हम लौटा देंगे , जिससे पैसे लेना थे वह विदेश गया है , अगले महिने आ जाएगा । ”
संगीता ने पापा से अनुरोध करते हुए कहा ।
रामलाल ने थोड़े गुस्से से कहा :
” बेटी हमने तुम्हारी शादी में काफी पैसा खर्च किये है , अब हमारे पास पैसे नहीं है ।”
संगीता जानती थी ” पापा के पास पीएफ और ग्रेज्यूटी के पैसे है , लेकिन उनका रूख देख कर वह वापिस
आ गयी ।”
दो दिन बाद रामलाल का बेटा रमेश आया और बोला :
” पापा बिजनेस में कुछ नये आइटम जोड़ना है , इसलिए कुछ पैसे और चाहिए थे । ”
रामलाल ने कहा :
” अभी पिछले हफ्ते ही तो पाँच लाख दिए थे बेटा जरा पैसे को सही जगह लगाना , बेटा हिसाब बताना । ”
फिर बेमन से रामलाल ने हमेशा की तरह एक चेक काट कर रमेश को दे दिया कि वह जरूरत के अनुसार एक दो लाख भर लेगा ।
रमेश की पत्नी सुलेखा दरवाजे के पीछे से सब सुन रही थी । उसने इस बार पापा का थोड़ा कड़ा रूख देखा तो उसे भविष्य में पैसे नही मिलने की आशंका हुई , इसलिए रमेश को पापा के खाते से पूरे पैसे निकालने के लिए कहा और रमेश ने बैंक जा कर खाते के पूरे पैसे भर कर
निकाल लिए ।
अगले महिने जब रामलाल बैंक गये तब बैंक वालों ने उनके खाते से बेटे के द्वारा पैसे निकालने की
बात बताई ।
जब रामलाल घर आए तब घर का माहौल ही बदले चुका था । उनका सामान बाँध कर दरवाजे पर रखा था , वह समझ गये कि उनके साथ धोखा हो गया है , लेकिन इसकी भनक संगीता को लग गयी थी इसलिए वह सोमेश के साथ आई और पापा का सामना कार में रख कर अपने घर ले आई ।
रामलाल , संगीता से आँखे नहीं मिला पा रहे थे लेकिन संगीता और सोमेश निश्चल भाव से उन्हें अपने साथ रख रहे थे ।
स्वलिखित लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल