ऐसे न रूठा करो
मैं पूछता रहता हूं हाल पर
कोई जवाब आता नहीं
कैसी है ज़िंदगी उसकी अब
कोई मुझे बताता नहीं।।
वो अपनी झूठी हंसी के पीछे
कहीं आंसू छुपाता तो नहीं
छोड़कर साथ मेरा वो
आज कहीं पछताता तो नहीं।।
प्यार करता है आज भी मुझसे
किसी को बताता तो नहीं
बस मुझे दिखाने के लिए कहीं
किसी को अपना बताता तो नहीं।।
उससे होती थी जो मेरी मुलाकातें
उन्हें याद करता तो नहीं
मेरी तरह वो भी कहीं अकेले में
आज आहें भरता तो नहीं।।
है वो बहुत भोला अभी भी
कोई उसे बहकाता तो नहीं
मुझसे बात न करने के लिए
कोई उसे उकसाता तो नहीं।।
बहुत हो गया अब रूठना तेरा
कोई उसे समझता भी नहीं
खाई थी कसमें साथ निभाने की
कोई उसे याद दिलाता भी नहीं।।
कौन समझाएगा अब ये उसे
कोई अपने प्यार को यूं सताता तो नहीं
माना हो जिसे दिल से अपना उसे
आंसू खून के इस तरह रुलाता तो नहीं।।
टूटेगा जब भी ये भरम उसका
कह देना उसे मैं बेवफा तो नहीं
ज़िंदगी ने ही आज धोखा दे दिया
वरना तुम्हें छोड़कर में जाता तो नहीं।।