ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती “
रातों के अंधेरों से जो न घबराए ,
तूफ़ानों में नदिया पार कर जाए,
नैन भरें हों पर लब मुस्काएँ,
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
काँटे भी जिन्हें लगें मोती,
स्वप्न सुनहरे देखतीं जिनकी आँखें जागती-सोती ,
प्रभु करते जिनका मार्गदर्शन बन ज्योति,
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
धरती पर रह आकाश को छूना चाहें,
हर सुबह आशा का नया गीत गुनगुनाएँ,
तन्हाई में भी जो बैठ मुस्काएँ,
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
कड़कती धूप जिन्हें न झुलसा पाए ,
रेगिस्तान भी जिनका कंठ न सुखा पाए,
झूठ के सागर में जो सच्चाई की नाव चलाए,
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
हों बागों के जो महकते फूल,
तन-मन बसी जिनके देश की धूल,
रोक नहीं सकते जिनको कठिनाइयों के शूल,
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
तैरें जो लहरों को चीरकर,
बढ़ें आगे पहाड़ों को काटकर,
निकलें जो आग से सोना बनकर,
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
न डुबा पाए जिन्हें ग़मों का सागर,
न हिला पाए जिन्हें टूटता क़हर,
हों जो उल्लास और उम्मीद की लहर,
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
तूफ़ानों में रहें डटे मानवता के पथ से न हटें,
प्रभु में जिनकी आस्था न घटे,
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती ।
इंदु नांदल विश्व रिकॉर्ड होल्डर
इंडोनेशिया
स्वरचित ✍️.