ऐसी हासिल कोई खुशी न करो।
गज़ल
काफ़िया- ई की बंदिश
रदीफ़- न करो
फ़ाइलातन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़ियलुन
2122====1212====22/112
खुश रहो गैर को दुखी न करो।
ऐसी हासिल कोई खुशी न करो।
अपने मेहमान को खुदा समझो,
उसके सत्कार में कमी न करो।
दर्द में कोई हो सँजीदा रहो,
भूलकर ऐसे में हँसी न करो।
अपने माँ बाप औ’र बुजुर्गों को,
प्यार दो आँख में नमी न करो।
प्रेम जग मे अमर रहे प्रेमी,
प्यार बाँटो कभी गमी न करो।
……✍️ प्रेमी