ऐसी मेरीकॉम
जो स्वयं अपना परिचय अपनी प्रतिभा से बताती है
ऐसी मेरीकॉम कई युगों में एक बार धरा पर आती है
नारी शक्ति की व्याख्या जो आज हम सबको दिखाती है
जब आगे बढ़ती है हुंकार भर अमर इतिहास बन जाती है
विपक्षी को परास्त कर जीत का डंका विश्व में बजाती है
हर अग्रिम क्षण में नित नया स्वर्णिम कीर्तिमान लाती है
जो नारी के भीतर अदम्य साहस का अलख जगाती है
नारी पुरुषों से है नहीं कम,सिर्फ इसका मान बढ़ाती है
नारी तो शौर्य है, लक्ष्मी, दुर्गावती की याद दिलाती है
भारत का सीना चौड़ा होता जब ये जयकार सुनाती है
अभ्यास में लीन होकर ,हर कार्य का बीड़ा जो उठाती है
जीत कर रण में भारत को यश से सरोकार कराती है
नारी होकर भी मेरीकॉम निष्काम कर्म का पाठ पढ़ाती है
निरंतर लड़ना है प्यारे, संघर्ष ही जीवन है समझाती है
अपने पावन अवतरण से भारत की भूमि धन्य बनाती है
मेरी लेखनी भी यहाँ उसके सम्मान में ही गुणगान गाती है
पूर्णतः मौलिक स्वरचित कृति
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छग.