ऐसा क्या लिख दू मैं…..
ऐसा क्या लिख दू मैं जो तेरी रूह को छू जाए।
पढ़कर जिसे तेरे दिल को कुछ सुकूँ आए।।1।।
कैसे बयां करूं मैं तेरी इस शक्ल ओ सीरत को।
लिखूं तुझे ऐसे जैसे आयतों में रुकूं आए।।2।।
मैं शायर तो नही जो तूझपर कोई शायरी लिखूं।
बज्म में वाह वाही का मन्ज़र हर शू छाए।।3।।
है मुहब्बत तुझसे मेरे घर की दीवार ओ दर को।
इक तेरे आ जाने से इनमें भी खुशबू आए।।4।।
वक्त के हर पल में इक बस तेरा ही ख्याल है।
मेरे दिल पे इक बस तेरी ही जुस्तजू छाए।।5।।
तेरे दिए गुलाबों को रखा है बड़ा संभाल कर।
पर सूखे फूलों से कहां कोई खुशबू आए।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ