ऐतबार नहीं
वो मुलाकात क्यूँ, जिसमें अगली
मुलाकात की हसरत ना हो।
वो बात क्यूँ जिसमें अगली बार बात ना हो।
वो नजर क्यूँ जो अगली बार देखनें के लायक ना हो।
और वो मोहब्बत क्यूँ जिसमें ऐतबार ना हो।
वो मुलाकात क्यूँ, जिसमें अगली
मुलाकात की हसरत ना हो।
वो बात क्यूँ जिसमें अगली बार बात ना हो।
वो नजर क्यूँ जो अगली बार देखनें के लायक ना हो।
और वो मोहब्बत क्यूँ जिसमें ऐतबार ना हो।