ए वक्त जरा ठहर जा …
ए वक्त ! जरा ठहर जा ,
थोड़ा दम तो लेने दे ।
क्यों दौड़ा रहा है हमें भी ,
कुछ पल ठहरने तो दे।
जिंदगी की लगाम कैसे थामूं,
अपनी धारा को ही रोक दे ।
उम्र भी तेरे संग बह रही है ,
थोड़ी तो मोहलत दे दे ।
अभी तो है कई अरमान अधूरे ,
उनको पूरा कर लेने दे ।
अभी करने है कई काम बड़े,
थोड़े तो लम्हे दे दे ।
तेरे बहाव में अपने ना छूटें,
उनकी बांह पकड़ने दे ।
अच्छा ! गर तू नहीं रुक सकता,
ये तेरी प्रकृति / प्रवृति में नहीं,
मगर अपनी रफ्तार तो कम कर दे ,
माना हम तेरा सही उपयोग नहीं किया,
सोच विचार ,निर्णय लेने में तुझे गवां दिया,
क्षमा कर दे,एक अवसर तो और दे दे ।
अतीत को लेकर रोना
भविष्य की चिंता और
वर्तमान को भी जी नही पाए।
मगर फिर भी हमें , ,
अपने अंश से एक लम्हा तो दे दे ।