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12 Jun 2023 · 1 min read

ए मुसाफ़िर

ए मुसाफ़िर तू बस चलता जा ,
हर रहा पर हर किसी से मिलता जा ।
जो साथ दे उनकी दुआए करता जा ,
और जो साथ छोड़ दे उस मोड़ पर उनसे कुछ बाते सीखता जा।
अपनी मंजिल को पाने की रहा बनाता जा ,
जो बने काटे रहा में तो उनको,
अपनी मुस्कुराहट से फूल बनाता जा ।
ए मुसाफ़िर तू बस चलता जा,
नाकामी मिले कभी तो उससे पीछे मत हट्टा जा ।
करे लोग बुराई तो उसे अच्छे में बदलता जा ,
मुश्किलों के पहाड़ अपनी रहा से हटाता जा।
अपनी अच्छाई के फूल खिलाता जा ,
ए मुसाफ़िर तू बस चलता जा।

– Prachi Verma

Language: Hindi
1 Like · 180 Views
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