Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2017 · 1 min read

ए चन्द्रमा….

ए चन्द्रमा तू रात को आता है
सुबह कहीं छुप जाता है
समय की चाल के साथ
तू भी चलता ही जाता है
ए चन्द्रमा रुक जा कहीं
ए समय तू भी थम जा कहीं
तुझे जी भर के निहार तो लूँ
बादलों की घनी ज़ुल्फ़ों में से
तेरा चेहरा सँवार तो लूँ
एक टक तुम को निहार तो लूँ
पर ना तो कमसिन समय थमता है
नाहीं कहीं चन्दा रुकता है
घटता-बड़ता बड़ता-घटता
नहीं रुकता नहीं थमता
पलक भर भी नहीं थमता
एक क्षण के लिए ही
पलक भर के लिए ही
गती शून्य समय के साथ
कैमरे में कहीं स्थिर सा कर लूँ
यादों में कहीं छुपा के रख लूँ
एक चित्र रूप बना के रख लूँ
ए चन्दा तुम्हें छुपा के रख लूँ
– राजेश्वर
 

Language: Hindi
288 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Rajeshwar Singh
View all
You may also like:
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ग़म बांटने गए थे उनसे दिल के,
ओसमणी साहू 'ओश'
नई बहू
नई बहू
Dr. Pradeep Kumar Sharma
■ हम हों गए कामयाब चाँद पर...
■ हम हों गए कामयाब चाँद पर...
*Author प्रणय प्रभात*
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
singh kunwar sarvendra vikram
Re: !! तेरी ये आंखें !!
Re: !! तेरी ये आंखें !!
RAJA KUMAR 'CHOURASIA'
सफलता
सफलता
Paras Nath Jha
हम कितने आँसू पीते हैं।
हम कितने आँसू पीते हैं।
Anil Mishra Prahari
रहो कृष्ण की ओट
रहो कृष्ण की ओट
Satish Srijan
इकिगाई प्रेम है ।❤️
इकिगाई प्रेम है ।❤️
Rohit yadav
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
गिराता और को हँसकर गिरेगा वो यहाँ रोकर
आर.एस. 'प्रीतम'
प्रेम में डूब जाने वाले,
प्रेम में डूब जाने वाले,
Buddha Prakash
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
कायम रखें उत्साह
कायम रखें उत्साह
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*कण-कण में भगवान हैं, कण-कण में प्रभु राम (कुंडलिया)*
*कण-कण में भगवान हैं, कण-कण में प्रभु राम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जिंदगी
जिंदगी
Sangeeta Beniwal
21-हिंदी दोहा दिवस , विषय-  उँगली   / अँगुली
21-हिंदी दोहा दिवस , विषय- उँगली / अँगुली
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
है माँ
है माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2. काश कभी ऐसा हो पाता
2. काश कभी ऐसा हो पाता
Rajeev Dutta
रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की ‘ गोदान ‘ के पात्रों विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
साथी है अब वेदना,
साथी है अब वेदना,
sushil sarna
For a thought, you're eternity
For a thought, you're eternity
पूर्वार्थ
मुस्कुरा देने से खुशी नहीं होती, उम्र विदा देने से जिंदगी नह
मुस्कुरा देने से खुशी नहीं होती, उम्र विदा देने से जिंदगी नह
Slok maurya "umang"
"आखिर क्यों?"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
मुझे भी लगा था कभी, मर्ज ऐ इश्क़,
डी. के. निवातिया
एक ही तो, निशा बचा है,
एक ही तो, निशा बचा है,
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
शादाब रखेंगे
शादाब रखेंगे
Neelam Sharma
24/254. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/254. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
मेरे प्रेम की सार्थकता को, सवालों में भटका जाती हैं।
Manisha Manjari
इश्क में आजाद कर दिया
इश्क में आजाद कर दिया
Dr. Mulla Adam Ali
दिन सुखद सुहाने आएंगे...
दिन सुखद सुहाने आएंगे...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...