ए़हद
गिले शिकवों का दौर अब खत्म करो।
मान लो अपनी गलती बहस से गुरेज़ करो।
कोई छोटा या बड़ा नही बनता सोचने से।
बड़प्पन हासिल होता है बड़े काम करने से।
ज़िन्दगी गुज़र जायेगी औरो के ख़म ढूँढने मे।
अपने ग़िरेबाँ मे देखो तो नज़र आयेगें अनगिनत खम।
जिनसे तुम अन्जान हो अभी तक जो है तुम्हारे बायिसे ग़म।
ख़यालात और मुज़्जसिम के फ़र्क को समझो।
हाला़त की नज़ाकत को देखो अन्दाज़े ब़याँ समझो।
अल्फाज़ों के तीर दिलों को घायल कर रूह तक जाते हैं।
रिश्ते जब टूटकर बिखरते हैं हर्गिज़ न जुड़ पाते हैं।